उसकी ऑंखें
उसकी ऑंखें.........
कहना चाहती थी मुझसे
वो सब कुछ.........
जो नहीं आ पाती कभी उसकी जुबां पर।
कहना चाहती थी मुझसे
वो सब कुछ.........
जो नहीं आ पाती कभी उसकी जुबां पर।
उसके प्रेम का पैमाना
जो सिर्फ मेरे लिए था,
उन्ही ऑंखों से छलकता था।
जो सिर्फ मेरे लिए था,
उन्ही ऑंखों से छलकता था।
समर्पण भाव भी था उसकी ऑंखों में
मेरे लिए............
मेरे लिए............
प्यार में लुट जाने की हद तक।
उसकी दो ऑंखें.........
मिलन-सुख और बिछोह-पीड़ा
चुपके से कह जाती।
उसकी दो ऑंखें.........
मिलन-सुख और बिछोह-पीड़ा
चुपके से कह जाती।
पर एक हूक सदा उठती उसके दिल में
एक कसक..........
सदा साथ ना रह पाने की
एक कसक..........
सदा साथ ना रह पाने की
समझती थी वो,
उसकी ऑंखें,
ऑंसू की स्याही से मुखड़े के मसि पे
बयॉं भी करती थी।
उसकी ऑंखें,
ऑंसू की स्याही से मुखड़े के मसि पे
बयॉं भी करती थी।
फिर भी वो करती थी............
मेरा लंबा इंतजार
जो कभी भी नहीं देख पाता था मैं
कुछ ऐसा ही था अपना वो प्यार।
मेरा लंबा इंतजार
जो कभी भी नहीं देख पाता था मैं
कुछ ऐसा ही था अपना वो प्यार।